महाभारत युद्ध
के पश्चात पांचाल पर पांडवों के वंशज तथा बाद में नाग राजाओं का अधिकार
रहा। पुराणों में महाभारत युद्ध से लेकर नंद वंश के राजाओं तक 27 राजाओं का
उल्लेख मिलता है।
महाभारत काल के बाद अर्थात कृष्ण के
बाद हजरत इब्राहीम का काल ईस्वी पूर्व 1800 है अर्थात आज से 3814 वर्ष
पूर्व का अर्थात कृष्ण के 1400 वर्ष बाद ह. इब्राहीम का जन्म हुआ था। यह
उपनिषदों का काल था। ईसा से 1000 वर्ष पूर्व लिपिबद्ध किए गए छांदोग्य
उपनिषद में महाभारत युद्ध के होने का जिक्र है।
इस काल में उत्तर वैदिक काल की सभ्यता का
पतन होना शुरू हो गया था। इस काल में एक और जहां जैन धर्म के अनुयायियों और
शासकों की संख्या बढ़ गई थी वहीं धरती पर यहूदियों के वंश विस्तार की
कहानी लिखी जा रही थी। हजरत इब्राहीम इस काल में इराक का क्षेत्र छोड़कर
सीरिया के रास्ते इसराइल चले गए थे और फिर वहीं पर उन्होंने अपने वंश और
यहूदी धर्म का विस्तार किया।
इस काल में भरत, कुरु, द्रुहु, त्रित्सु और
तुर्वस जैसे राजवंश राजनीति के पटल से गायब हो रहे थे और काशी, कोशल,
वज्जि, विदेह, मगध और अंग जैसे राज्यों का उदय हो रहा था। इस काल में
आर्यों का मुख्य केंद्र 'मध्यप्रदेश' था जिसका प्रसार लुप्त सरस्वती से
लेकर गंगा के दोआब तक था। यहीं पर कुरु एवं पांचाल जैसे विशाल राज्य भी थे।
पुरु और भरत कबीला मिलकर 'कुरु' तथा 'तुर्वश' और 'क्रिवि' कबीला मिलकर
'पंचाल' (पांचाल) कहलाए।
अंतिम राजा निचक्षु : महाभारत के बाद कुरुवंश का
अंतिम राजा निचक्षु था। पुराणों के अनुसार हस्तिनापुर नरेश निचक्षु ने, जो
परीक्षित का वंशज (युधिष्ठिर से 7वीं पीढ़ी में) था, हस्तिनापुर के गंगा
द्वारा बहा दिए जाने पर अपनी राजधानी वत्स देश की कौशांबी नगरी को बनाया।
इसी वंश की 26वीं पीढ़ी में बुद्ध के समय में कौशांबी का राजा उदयन था।
निचक्षु और कुरुओं के कुरुक्षेत्र से निकलने का उल्लेख शांख्यान श्रौतसूत्र
में भी है।
जन्मेजय के बाद क्रमश:
शतानीक, अश्वमेधदत्त, धिसीमकृष्ण, निचक्षु, उष्ण, चित्ररथ, शुचिद्रथ,
वृष्णिमत सुषेण, नुनीथ, रुच, नृचक्षुस, सुखीबल, परिप्लव, सुनय, मेधाविन,
नृपंजय, ध्रुव, मधु, तिग्म्ज्योती, बृहद्रथ और वसुदान राजा हुए जिनकी
राजधानी पहले हस्तिनापुर थी तथा बाद में समय अनुसार बदलती रही। बुद्धकाल
में शत्निक और उदयन हुए। उदयन के बाद अहेनर, निरमित्र (खान्दपनी) और क्षेमक
हुए।
मगध वंश में क्रमश: क्षेमधर्म (639-603
ईपू), क्षेमजित (603-579 ईपू), बिम्बिसार (579-551), अजातशत्रु (551-524),
दर्शक (524-500), उदायि (500-467), शिशुनाग (467-444) और काकवर्ण (444-424
ईपू) ये राजा हुए।
नंद वंश में नंद वंश उग्रसेन (424-404),
पण्डुक (404-294), पण्डुगति (394-384), भूतपाल (384- 372), राष्ट्रपाल
(372-360), देवानंद (360-348), यज्ञभंग (348-342), मौर्यानंद (342-336),
महानंद (336-324)। इससे पूर्व ब्रहद्रथ का वंश मगध पर स्थापित था।
अयोध्या कुल के मनु की 94 पीढ़ी में
बृहद्रथ राजा हुए। उनके वंश के राजा क्रमश: सोमाधि, श्रुतश्रव, अयुतायु,
निरमित्र, सुकृत्त, बृहत्कर्मन्, सेनाजीत, विभु, शुचि, क्षेम, सुव्रत,
निवृति, त्रिनेत्र, महासेन, सुमति, अचल, सुनेत्र, सत्यजीत, वीरजीत और
अरिञ्जय हुए। इन्होंने मगध पर क्षेमधर्म (639-603 ईपू) से पूर्व राज किया
था।
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